तन्हा लम्हों में तुझे चुनकर,

Image
तन्हा लम्हों में चुनकर, एक आशियाना बनाने की कोशिश करता हूँ, हार जाता हूँ, हर दफा, जब भी मुस्कुराने की कोशिश करता हूँ!

मंजिल मिलेंगी,,

मंजिल मिलेंगी भटक के ही सही,bujdil वो है जो घर से निकले ही नहीं।

Comments

Popular posts from this blog

साली बिजली चली गई।