तन्हा लम्हों में तुझे चुनकर,

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तन्हा लम्हों में चुनकर, एक आशियाना बनाने की कोशिश करता हूँ, हार जाता हूँ, हर दफा, जब भी मुस्कुराने की कोशिश करता हूँ!

ओ सनम

तू उस चाँद की तरह है ओ सनम, नूर भी उतना ही, गुरूर भी उतना ही, और दूर भी उतना ही।

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