तन्हा लम्हों में चुनकर, एक आशियाना बनाने की कोशिश करता हूँ, हार जाता हूँ, हर दफा, जब भी मुस्कुराने की कोशिश करता हूँ!
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कतल कर दिया था।
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कतल कर दिया था जिसने मेरा कभी वो शख्स मेरी तलाश में आज फिर निकला है, उसने भी डाला फूल था मेरी कब्र पर मर के ही सही उसके हाथ से गुलाब तो मिला, खुशियाँ तो मेरे घर का पता जानती नही गम तो अपने यार है खुद ब खुद आयेगा।
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Drbhavnabharti11997@gmail.com