तन्हा लम्हों में तुझे चुनकर,

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तन्हा लम्हों में चुनकर, एक आशियाना बनाने की कोशिश करता हूँ, हार जाता हूँ, हर दफा, जब भी मुस्कुराने की कोशिश करता हूँ!

नजरों ने की थी।

नजरों ने की थी खता आखिर, दिल को भी था पता आख़िर, बहते अश्को से ना हो रुस्वा आप मिलनी तो थी ही सजा आख़िर।

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