तन्हा लम्हों में तुझे चुनकर,

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तन्हा लम्हों में चुनकर, एक आशियाना बनाने की कोशिश करता हूँ, हार जाता हूँ, हर दफा, जब भी मुस्कुराने की कोशिश करता हूँ!

बस तुझे चाहूँगा!

मै तो अपनी हर सांस मे बस तुझे चाहूँगा, जो कभी ना खत्म हो जज्बात इस तरह ख्वाबों में तुझे सजाऊंगा मेरे तो दिन रात है, तुमसे इस तरह सांसों के बाद भी बस तुझे चाहूँगा ना ना सुकून होता हैं, बिना तुम्हारे एक पल भी इस कदर सांसों पे मैं, तुम्हारा नाम लिख जाऊंगा

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